उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शनिवार, 5 अप्रैल 2014

हमेशा होता है जैसा उससे कुछ अनोखा नहीं होगा

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तु म को लगता होगा कभी तुम पर लिखा हुआ होगा यहाँ पर शायद कुछ उसे लगता होगा  हो सकता है उसके लिये ही कहा गया हो कुछ पर समय पर लिखा गया कुछ भी ...
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शुक्रवार, 24 जनवरी 2014

तेरे से ये उम्मीद नहीं थी जो तू कर रहा है

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क्यों रे बहुत उछल रहा है सुना है आजकल कुछ कुछ कहीं लिख विख रहा है क्या लिख रहा है बुरी बात ये है   कुछ भी हमें कहीं से भी ते...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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