उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

सुमित्रानंदन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
सुमित्रानंदन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
रविवार, 23 फ़रवरी 2014

हिमालय देखते देखते भी अचानक भटक जाती है सोच गंदे नाले की ओर

›
शायद किसी  सुबह हो  या किसी शाम  को ढलते  सूरज दिखे लालिमा सुबह की चमकती सफेद चाँदी  के रंग में या फिर स्वर्ण की चमक से  ढले हुऐ हिमालय कवि ...
12 टिप्‍पणियां:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
मेरी फ़ोटो
सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.