उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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रविवार, 15 जुलाई 2018

किसी किसी आदमी की सोच में हमेशा ही एक हथौढ़ा होता है

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दो और दो जोड़ कर चार ही तो पढ़ा रहा है किसलिये रोता है दो में एक इस बरस जोड़ा है उसने एक अगले बरस कभी जोड़ देगा दो और दो चार ही सुना है ऐसे ...
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गुरुवार, 4 दिसंबर 2014

बिना नोक की कील जैसा लिखा नहीं ठोका जा सकता सोच में कितना भी बड़ा हो हथौड़ा

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  हो गये होते होते आठ पूरे और एक आधा सैकड़ा कुछ नहीं किया जा सका केकड़े में नहीं दिखा चुल्लू भर का भी परिवर्तन दुनियाँ बदल गई यहाँ से वहाँ पहु...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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