गुरुवार, 20 अक्तूबर 2011

समझ

मेरा अमरूद उनको केला नजर आता है
मैं चेहरा दिखाता हूँ वो बंदर बंदर चिल्लाता है
मैं प्यार दिखाता हूँ वो दांत दिखाता है

मेरी सोच में लोच है उसके दिमाग में मोच है
धीरे धीरे सीख लूंगा
उसको डंडा दिखाउंगा प्यार से गले लगाउंगा

जब बुलाना होगा 
तो जा जा चिल्लाउंगा
डाक्टर की जरूरत पड़ी तो एक मास्टर ले आऊंगा

तब मेरा अमरूद उसको 
अमरूद नजर आयेगा
मेरी उल्टी बातों को वो सीधा समझ जायेगा ।

10 टिप्‍पणियां:

  1. करवाचौथ की हार्दिक मंगलकामनाओं के साथ आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (03-11-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!

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  2. रोचक प्रस्तुति शुभकामनाएं

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  3. मरुत मरू देता बना, जल अमरू कर देत ।

    मरुद्रुम कांटे त्याग दे, हो अमरूदी खेत ।

    हो अमरूदी खेत, देश भी बना बनाना ।

    बैठे बन्दर खाँय, वहां लेकिन मत जाना ।

    डालेंगे वे नोच, सभी की मिली भगत है ।

    राम राज में युद्ध, सफल वो आज जुगत है ।।

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  4. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (12-01-2015) को "कुछ पल अपने" (चर्चा-1856) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. समझ समझ का फेर है, समझ सके तो समझ
    अपना हित है तो समझ ले ,नहीं है तो ना समझ !
    संत -नेता उवाच !
    क्या हो गया है हमें?

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  6. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शनिवार 03 अगस्त 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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