शनिवार, 5 मई 2012

चोर ना ना कामचोर

बहाने के ऊपर
जब बहाने
को चढ़ाते हैं
बहाने का समुंदर
कब वो लबालब
भर ले जाते हैं
पता कुछ कहाँ
कोई कर पाते हैं
अंदाज उस समय
ही आ पाता है
जब बहानेबाज
के जाने के बाद
हर कोई अपने को
बहाने में बहा
हुआ पाता है
ठगा सा
रह जाता है
बहाने बनाते बनाते
कुछ बहानेबाज
इतना भावुक
हो जाते हैं कि
सामने वाले
की आँखों
में आंसूँ भर
ही आते हैं
बहाने कितनी
आसानी से
किस समय
सच्चाई में
ढाल ले जाते हैंं
कितने
कलाकार हैं
उस समय
बताते है
हम देखते
रह जाते हैं
भावावेग प्रबल
हो जाता है
हर बहाना
सामने वाले
की समझ
में आता है
वो बेवकूफ
की तरह
ये दिखाता है
बहाना बनाया
तो जा रहा है
पर उसकी
समझ में
बिलकुल भी
नहीं आ रहा है
इसी तरह बहाना
बनाया जाता है
फिर भी
अन्जाने में वो
बहाना कब
सामने वाले को
बहा ले जाता है
अन्दाज ही नहीं
कोई लगा पाता है
मालूम रहता है 
वो जब भी आता है
बहाना बनाता है
बहुत अच्छा बनाता है।

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहाना बहा न ले जाये बहाने-बाज को |
    आभार |
    सुन्दर प्रस्तुति ||

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    लिंक आपका है यहीं, मगर आपको खोजना पड़ेगा!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

    जवाब देंहटाएं
  3. बाँह बाँहों में डाले बहाने चले
    बहाने के बहाने बहा ले चले

    जवाब देंहटाएं
  4. गनीमत है बहाने बनाना सबको नहीं आता वरना हिन्दुस्तान का क्या होता .यहाँ तो प्रजातंत्र ही बहाने बाजों के हाथों में है .गनीमत है शुक्रिया है उन ५%का जो बहाना बनाना नहीं जानते .

    जवाब देंहटाएं