सोमवार, 14 मई 2012

दिखता है आतंकवाद

बम फोड़ना
मकान उड़ाना
निरीह लोगों की हत्या
यूँ ही करते चले जाना

आतंक फैलाना
फिर
आतंकवादी कहलाना

खबर में छा जाना
पकड़े जाना
जेल चले जाना

दिखता है
हो रहा है
दिखाता है
होगा आगे भी
अभी और कुछ

देश कर सकता है तैयार
रक्षा रणनीति और हथियार

बिना रीढ़ की हड्डी
अपने ही घर की टिड्डी
उतरी हुई है मैदान मैं
उतार के अपनी चड्डी

हल्ला खूब मचाती है
लोगों को बताती है
आतंकवादियों से देश
को बचा लो बचा लो की
डुगडुगी रोज बजाती है

खूबसूरत
रंगीन पंख फैलाती है
सुंदर नाच भी दिखाती है
ध्यान बंटाती है

अंदर ही अंदर
अपने पैरों के
नाखूनों से
देश की नींव
खुरचती जाती है

अपने जैसी
सोच के लोगों को
इकट्ठा इस तरह
करती चली जाती है

एक भी
गोली नहीं चलाती
किसी को
बम से नहीं उड़ाती
बिना रीढ़ की हड्डी के
बाकी लोग माला ले आते हैं
टिड्डी को पहनाते हैं

जयजयकार के साथ
कंधे पर बैठा के जुलूस
उसका बनाते हैं

इसी सब में देश की
नींव दरकती जा रही है
सबको नींद आ रही है

आतंकवादी तो जेल में
बाँसुरी बजा रहा है
टिड्डा अपने भाई बहनों के
साथ सबका ध्यान बटा रहा है

कुछ नहीं दिखता है
कि
कुछ कहीं हो रहा है
ना दिखाता है कुछ होगा

देश कैसे कर सकता है तैयार
रक्षा रणनीति और हथियार।

2 टिप्‍पणियां:

  1. गंभीर विषय पर तीखी टिप्पणी |
    बधाई भाई जी ||

    हम तो भाई अपनी नानी के घर इटली चले जायंगे-
    अब वहां रोम - राज्य है |
    नहीं तो स्विटज --|
    बस जाते समय
    विमान हाइजैक न होने पाए-
    इसके लिए आदर सत्कार में लगा हुआ हूँ
    जबसे मैया बोली है-

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  2. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    --
    मेरे भारत की धरती पर जो आतंक मचायेगा।
    उसे नाज-नखरों से बन्दीघर में पाला जायेगा।।

    अतिथि देवो भव की, मर्यादा को क्योंकर छोड़ेंगे,
    बैर-भाव को भुला, शत्रु से नातेदारी जोड़ेंगे,
    हो अक्षम्य अपराध भले ही, प्राण नहीं लेंगे उसके,
    हमें मिलेगी रूखी रोटी, वो बिरयानी खायेगा।
    उसे नाज-नखरों से बन्दीघर में पाला जायेगा।।

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