मंगलवार, 15 मई 2012

कार्टून और लंगोट

विधान सभा लोक सभा में
चर्चा अभी अगर नहीं कराओगे
लिखने लिखाने कार्टून बनाने
के कुछ नियम नहीं बनाओगे
संविधान का कार्टून अब भी
कुछ बंदरों से नहीं बनवाओगे
भारत देश की नागरिकता से
कभी भी हाथ धुला पाओगे
किसी पर भी कार्टून बनाओगे
आज नहीं फंसोगे पचास साल
बाद ही सही फंसा दिये जाओगे
जिंदा रहे तो टांक दिये जाओगे
मर खप गये तो किसी जिंदे
आदमी का जनाजा निकलवाओगे
कार्टून छोड़ो मुस्कुराने पर भी
सवाल जवाब होता देख पाओगे
सबके लिये बुरके जालीदार
सिलवाते ही रह जाओगे
अपने अपने कार्टून बनाओगे
अपने ही गले में लटकाओगे
ईश्वर को मंदिर से अगर भगाओगे
आदमी को ईश्वर मान जाओगे
शायद अपनी लंगोट बचा पाओगे
नंगे होने से पक्का बच जाओगे।

5 टिप्‍पणियां:

  1. कार्टून के भूत से, लक्ष्मण है हैरान |
    दलित प्रेम के प्रेत ने, ले ली उनकी जान |
    ले ली उनकी जान, बड़ी चुड़ैल भी गुस्सा |
    गिने "चुने" ये लोग, भरा गोबर या भुस्सा ||
    भागे रविकर भूत, लंगोटी खूब संभाली |
    रही भली मजबूत, ढील होवे ना साली ||

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  2. त्वरित टिप्पणी से सजा, मित्रों चर्चा-मंच |
    छल-छंदी रविकर करे, फिर से नया प्रपंच ||

    बुधवारीय चर्चा-मंच
    charchamanch.blogspot.in

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  3. कव्यात्मक प्रतिभा को सलाम ! :)

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  4. 'सफ़ेद बाल' ,'लंगोट और कार्टून 'दोनों रचनाएं पढ़ीं .ये प्रजा तंत्री फतवा है भाई साहब .यदि यह प्रजा तंत्र ठीक ठाक होता तो १९७५ में आपातकाल क्यों लगता .अब तो ये छोटे छोटे फतवे हैं .६५ साला मंद मति बालक है यह प्रजा तंत्र .

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