गुरुवार, 24 मई 2012

अंडा बिक गया

अंडे
एक टोकरी के
अपने को बस
चरित्रवान दिखाते हैं

दूसरी
टोकरी की
मालकिन को
चरित्रहीन बताते हैं

कल
दूसरी टोकरी
के अंडों ने

पहली के
एक अंडे को
फुसला लिया

चरित्रवान अंडा

चरित्रहीन
कहलाये
जाने वाले
अंडों मेंं
मिला लिया

इधर का
एक अंडा
उधर के
एक अंडे का  

रिश्तेदार भी
बताया जाता है

पहली बार
उसने चुराया था

इस बार ये वाला
बदला ले जाता है

आमलेट
बनाने वाले भी
दो तरह के
पाये जाते है

एक
माँसाहारी

दूसरे
माँस के पुजारी
बताये जाते हैं

अंडा
फोड़ों का
हर बार

इन्ही
बातों पर
झग
ड़ा
हो जाता है

ये
झगड़ा करते
रह जाते हैं

इस बीच

इनका
अपना अंडा
इनको ही
धोखा
दे जाता है

अब
पहली
टोकरी में

अंडा
जगह खाली
करके आया है

दूसरी
टोकरी का अंडा

ये बात
मुर्गी रानी को
पहुंचाके आया है

छ:
महीने के भीतर

एक
नया अंडा
मुर्गी लेकर आयेगी

अंडे
से अंडा
लड़वाया जायेगा

जो
जीत जायेगा
उसे टोकरी
का राजा
बनवाया जायेगा

आमलेट
बनाने वाले
फिर
लंगोट पहन
कर आयेंगे

चरित्र दिखा
कर लाइन के
इधर उधर जायेंगे

कब्बडी
एक बार
फिर से
मैदान में
खेली जायेगी

मैदान
के बाहर
अंडे की बोली
लगायी जायेगी

अंडों
के पोस्टर भी
बड़े बड़े
छपवाये जायेंगे

अंडे
उछलते रहेंगे
टोकरी वालों को
गंजा कर चले जायेंगे

अंडे
इस टोकरी से

उस
टोकरी में जायेंगे

टोकरी वाले

अपनी
धोती को
खिसकते हुवे

फिर से
पकड़ 
कर
खिसियायेंगे। 

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी कविता में मारक व्यंग्य क्षमता है...

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  2. मित्रों चर्चा मंच के, देखो पन्ने खोल |

    आओ धक्का मार के, महंगा है पेट्रोल ||

    --

    शुक्रवारीय चर्चा मंच

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  3. रचना हाथों ले चली, खूब करारा बेंत।
    अंडों को ले कर किया, क्या मारक संकेत।

    सादर।

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