बुधवार, 11 जुलाई 2012

हाथी के निकलते अगर पर

चींटी की जगह
हाथी के अगर
पर निकलते
तो क्या होता
क्या होता
वही होता
जो अकसर
हुआ करता है
जिसे सब
आसानी से
मान जाते हैं
और अपना
दिमाग फिर
नहीं लगाते हैं
मतलब मंजूरे
खुदा होता
पर सुना है
जब पर
निकलते हैं
तो चीटीं मर
जाती है
दुबारा कहीं
नजर नहीं
कभी आती है
तो हाथी भी
क्या उड़ते
उड़ते मर जाता
अब हाथी
मरता तो पक्का
नजर आता
ऊपर से गिरता
तो पता नहीं
कितनो को
अपने साथ
ऊपर ले जाता
सुबह सुबह
अखबार के
फ्रंट पेज पर
भी फोटो के
साथ आ जाता
चींटी की खबरे
अखबार छुपा
भी ले जाता
तो किसी को
क्या पता
चल पाता
चींटी को
दफनाना तो
छोटी सी
लकड़ी से
हो जाता
पर हाथी
दफनाने के
लिये उतनी
ही बड़ी मशीन
कोई कहाँ से
ला पाता
खाली पीली
एक्स्पोज
नहीं हो जाता
अच्छा है
चींटी का ही
पर निकलता है
और किसी को
पता भी नहीं
कुछ चलता है ।

8 टिप्‍पणियां:

  1. हाथी के पर निकलते, पर हथिनी हुशियार ।

    केश और नाखून सा, देती उसे संवार ।

    देती उसे संवार, बड़ा हाथी त्रिवेदी ।

    ममता कैंची धार, दिखाई झट बलिवेदी ।

    दिल्ली का इतिहास, गौर से देखो साथी ।

    समय समय पर आय , कई कटवाए हाथी ।।

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  2. नेता जी
    घूमा करते चढ़कर
    कुचले जाते
    निर्धन के घर
    हाथी के गर
    होते पर।

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  3. आपकी लिखी रचना "साप्ताहिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 10 जून 2019 को साझा की गई है......... "मुखरित मौन....आज एक ही ब्लॉग से" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. प्रकृति भी सोच समझ कर विकास करती है :-) ...बहुत सुन्दर!!

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  5. अब हाथी
    मरता तो पक्का
    नजर आता
    ऊपर से गिरता
    तो पता नहीं
    कितनो को
    अपने साथ
    ऊपर ले जाता
    सुबह सुबह
    अखबार के
    फ्रंट पेज पर
    भी फोटो के
    साथ आ जाता....बहुत ख़ूब आदरणीय
    सादर

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  6. गज़ब का ख़्याल है सर..आप ही ऐसा सोच सकते हैं।

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