सोमवार, 20 अगस्त 2012

पूरी बात

शर्ट की
कम्पनी
सामने
से ही
पता चल
जाती है
पर
अंडरशर्ट
कौन सी
पहन कर
आता है
कहाँ 
पता 
चल पाता है

अंदर
होती है
एक
पूरी बात
किसी के
पर वो
उसमें से
बहुत
थोडी़ सी
ही क्यों
बताता है

सोचो तो
अगर
इस को
गहराई से
बहुत से
समाधान
छोटा सा
दिमाग
ले कर
सामने
चला
आता है

जैसे
थोड़ी 
थोड़ी
पीने से
होता है
थोड़ा सा
नशा
पूरी
बोतल
पीने से
आदमी
लुढ़क
जाता है

शायद
इसीलिये
पूरी बात
किसी को
कोई नहीं
बताता है

थोड़ा थोड़ा
लिखता है
अंदर की
बात को
सफेद
कागज
पर अगर
कुछ
आड़ी तिरछी
लाइने ही
खींच पाता है

सामने वाला
बिना
चश्मा लगाये
अलग अलग
सबको
पहचान ले
जाता है

पूरी बात
लिखने की
कोशिश
करने से
सफेद
कागज
पूरा ही
काला हो
जाता है

फिर कोई
कुछ भी
नहीं पढ़
पाता है

इसलिये
थोड़ी
सी ही
बात कोई
बताता है

एक
समझदार
कभी भी
पूरी रामायण 
सामने नहीं
लाता है

सामने वाले
को बस
उतना ही
दिखाता है
जितने में
उसे बिना
चश्में के
राम सीता
के साथ
हनुमान भी
नजर आ
जाता है

सामने
वाला जब
इतने से
ही भक्त
बना लिया
जाता है

तो

कोई
बेवकूफी
करके
पूरी
खिचड़ी
सामने
क्यों कर
ले आता है
दाल और
चावल के
कुछ दानों
से जब
किसी का
पेट भर
जाता है ।

12 टिप्‍पणियां:

  1. कोई बेवकूफी
    करके पूरी खिचड़ी
    सामने क्यों कर
    ले आता है
    दाल और चावल के
    कुछ दानों से
    जब किसी का
    पेट भर जाता है

    बहुत सही बात कही है आपने इस नज़्म में जिसको जितने की ज़रुरत हो उसे उतना ही दिया जाना चाहिए ताकि वह संभाल सके. पूरी बोतल पीकर लुढ़क न जाये

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  2. नंगों को नंगा किया, बड़ा भला अंदाज |
    एक पैग से लुढ़कता, आ दूजे से बाज |
    आ दूजे से बाज, राज है इसमें गहरा |
    हैं नेता के अंश, लगा के रखना पहरा |
    पहरा गांधी टोप, बदलता है रंगों को |
    देता है टरकाए, पोटता है नंगों को ||

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  3. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति।

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  4. उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के चर्चा मंच पर ।।

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  5. वैसे आँखें खुली हों तो सब कुछ दिखता है अन्डर शर्ट क्या ब्रांड भी दिखता है अन्डर पेंट का ,भूमध्य रेखा भी वैसे ये अंदर की बात है पूरी थोड़ी बताई जाती है ...पूरी जानने के लिए भी धैर्य चाहिए और बताने के लिए ईमानदारी ये विज्ञापन विभाग है जो हर आदमी लिए घूमता है अपनी जींस(जीवन इकाइयों का ) का दोहरे मानकों का . .
    .कृपया यहाँ भी पधारें -
    ram ram bhai
    बुधवार, 22 अगस्त 2012
    रीढ़ वाला आदमी कहलाइए बिना रीढ़ का नेशनल रोबोट नहीं .
    What Puts The Ache In Headache?

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  6. अजी ये पूरी बात नहीं बताएँगे ,सिर्फ टेलर ही दिखाएँगे ...बढ़िया प्रस्तुति .
    बुधवार, 22 अगस्त 2012
    रीढ़ वाला आदमी कहलाइए बिना रीढ़ का नेशनल रोबोट नहीं .
    What Puts The Ache In Headache?

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  7. समाज की समीक्षा बड़े शानदार ढंग से की है.

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