उधर की
मत सोच
आज इधर
को आ
कुछ अलग
सा कर
माहौल बना
गुलाब एक
सोच में
अपनी ला
खुश्बू भीनी
किताब
में दिखा
स्वाद की
रंगीन फोटो
चल बना
प्यार की
फिलम देख
रिश्तों के
धागे सुलझा
ध्यान मत
अब भटका
उधर होने दे
इधर को आ
अपना अपना
सब को
करने दे
तू अपना
भी करवा
कोई किसी
के लिये
नहीं मर
रहा है
तू भी
मत मर
कुछ अलग
सा तो कर
मधुशाला
की सोच
साकी को
सपने में ला
फूलों के
गिलास बुन
पराग की
मय गिरा
टेड़ा हो जा
हरी हरी
दूब बिछा
लुड़क जा
जब देख
रहा है
सब को
बेहोश
अपने होश
भी कभी
तो उड़ा
उनसे अपना
जैसा करवाने
की छोड़
उनका जैसा
ही हो जा
चैन से
बैठ कर
जुगाली कर
चिढ़ मत
कभी चिढ़ा
चल अपना
आज अलग
तम्बू लगा
कर ना
कुछ अलग
तो कर
उसको
उसका
उधर
करने दे
तू कुछ
इधर
अपना
भी कर ।
मत सोच
आज इधर
को आ
कुछ अलग
सा कर
माहौल बना
गुलाब एक
सोच में
अपनी ला
खुश्बू भीनी
किताब
में दिखा
स्वाद की
रंगीन फोटो
चल बना
प्यार की
फिलम देख
रिश्तों के
धागे सुलझा
ध्यान मत
अब भटका
उधर होने दे
इधर को आ
अपना अपना
सब को
करने दे
तू अपना
भी करवा
कोई किसी
के लिये
नहीं मर
रहा है
तू भी
मत मर
कुछ अलग
सा तो कर
मधुशाला
की सोच
साकी को
सपने में ला
फूलों के
गिलास बुन
पराग की
मय गिरा
टेड़ा हो जा
हरी हरी
दूब बिछा
लुड़क जा
जब देख
रहा है
सब को
बेहोश
अपने होश
भी कभी
तो उड़ा
उनसे अपना
जैसा करवाने
की छोड़
उनका जैसा
ही हो जा
चैन से
बैठ कर
जुगाली कर
चिढ़ मत
कभी चिढ़ा
चल अपना
आज अलग
तम्बू लगा
कर ना
कुछ अलग
तो कर
उसको
उसका
उधर
करने दे
तू कुछ
इधर
अपना
भी कर ।
kya khub,behtareen prastuti
जवाब देंहटाएंसोच सोच क्यू भला,हो जाते है हलकान
जवाब देंहटाएंप्यार के धागे बुने,खिल जाती है मुस्कान,,,,,,
RECENT POST,परिकल्पना सम्मान समारोह की झलकियाँ,
फूलों के
जवाब देंहटाएंगिलास बुन
पराग की
मय गिरा
वाह्वा.....अद्भुत....