मंगलवार, 18 सितंबर 2012

फेसबुक पर मिले एक संदेश का जवाब: बकवास रहने दीजिये कविता मत कहिये जनाब

S.k. SrivastavaJoshi ji ajkal apki kavitayen nahi aa rahi hai.



हाँ 
वो
आजकल 
नहीं आ रही है
जो बकवास आपको
कविता नजर आ रही है 

पता ही 
नहीं लग पा रहा है 
कहाँ जा रही है 

रोज ही 
कुछ ना कुछ 
देने आ जाती थी 
कुछ दिन से लग रहा है 
सब नहीं दे जाती थी 
कुछ कुछ छुपा भी ले जाती थी 

वैसे वो
आये 
या ना आये 
बहुत अंतर नहीं आता है 

आती है तो 
कोई ना कोई 
कुछ ना कुछ कह जाता है 
नहीं आती है 
तब भी खाना पच ही जाता है 

अब
जब 
आपने कहा 
वो आजकल नहीं आ रही है 
हमे भी लगा 
वाकई वो नहीं आ रही है 

फिर अगर
वो 
नहीं आ रही है 
तो पता तो लगना ही चाहिये 
कि वो 
कहाँ जा रही है 

अब 
आप ही
पता 
लगा दीजिये ना 
कुछ हमारा भी भला हो जायेगा 
कुछ होगा या नहीं 
ये बाद में फिर देखा जायेगा 

कम से कम 
आप की तरह कोई मेहरबान 
उसको पकड़ कर
वापिस 
मेरे पास ले आयेगा 

वापिस आ गयी 
फिर से
आने 
जाने लग जायेगी 
जैसे पहले 
आया जाया कर रही थी 
करना शुरु हो जायेगी 

फिर 
आप भी नहीं कह पायेंगे 
वो आजकल 
क्यों नहीं आ रही है 

क्या करें कैसे लिखें
बकवास ही सही
जब वो 
हमको ही आजकल
कुछ 
नहीं बता रही है

'उलूक' की बकवास 
कविता
कही जा रही है
बिना बात इतरा रही है।

चित्र साभार: 
https://sites.google.com/

9 टिप्‍पणियां:

  1. उत्कृष्ट प्रस्तुति आज बुधवार के चर्चा मंच पर ।।

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  2. कभी कभी कविता अटक जाती है उलझनों में
    शब्द तो होते हैं,पर आपधापी में वह भी सहम जाती है
    चित्त जब शांत होता है
    तो कविता चली आती है...

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  3. कविता गर अ -कविता हो जाए ,
    फिर लौट कर न आए ,
    रूप रस आकार सब लुटाए ,
    हरजाई हो जाए .
    ram ram bhai
    बृहस्पतिवार, 20 सितम्बर 2012
    माँ के गर्भाशय का बेटियों में सफल प्रत्यारोपण

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  4. कविता न लाई जाती है न बुलाई जाती है. अपनी मर्ज़ी की मालकिन है. अचानक आती है...अचानक जाती है...जबतक मर्ज़ी हो रुकी रहती है.......फिर धीरे से चल देती है. कभी रोज आती है. कभी वर्षों नहीं आती.

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