शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2012

मंदिर और ऎसिडिटी

यहाँ पर
सुबह सुबह
पहले तो
एक मकान
के आगे
नतमस्तक
खड़ा हुआ
नजर आ
रहा था
आज से मंदिर
हो गया है
अखबार में
पढ़कर आ
रहा था
वहाँ पर
बेशरमों के बीच
शरम का एक
मंदिर बनाने
का प्रस्ताव
लाया जा
रहा था
बेशरम को जब
आती थी
शरम तो
ऎसी जगह
में फिर क्यों
जा रहा था
रोनी सी
सूरत ले
हमें बता
रहा था
किताबों में
लिखा हुआ
होता था
जो कभी
वो सब
अब कोई
नहीं सुना
रहा था
जो कहीं
नहीं लिखा
गया है कभी
उसपर दक्ष
हर कोई
नजर आ
रहा था
ताज्जुब की
बात हर
कोई कुछ
भी पचा
ले जा
रहा था
जिसे पच
नहीं पा
रहा था
डाक्टर के
पास जा
ऎसिडिटी का
इलाज करवा
रहा था ।

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (06-10-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  2. वाह,बहुत शानदार , मजा आ आया ।

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