बुधवार, 20 नवंबर 2013

कोई तो लिखे कुछ अलग सा लगे

कभी कुछ
अलग सा
कुछ ऐसा
भी लिख
जिसे नहीं
पढ़ने वाला
भी

थोड़ा सा
पढ़ सके
कुछ ऐसा
जो किसी
झूमती हुई
कलम से
रंगबिरंगी
स्याही से
इंद्रधनुष
सा
लिखा हुआ
आसमान
पर दिखे

कुछ देर
के लिये
ही सही

रोज की
चिल्ल पौं से
थोड़ी देर के
लिये सही
आँख कान
नाक हटे

नहीं पीने
वाले को
कुछ पीने
जैसा लगे
नशा सा
लिखा हो
नशा ही
लिखा हो

पढ़े कोई
तो झूमती
हुई कलम
सफेद कागज
के ऊपर
इधर उधर
लहराती
सी दिखे

हर कोई
शराबी हो
ये जरूरी नहीं
नशा पढ़ के
हो जाने में
कोई खराबी नहीं

लिख मगर
ऐसा ही
कुछ
पढ़े कोई
तो पढ़ता
ही रहे

पढ़ के
हटे कुछ
लड़खड़ाये
इतना नही
कि
जा ही गिरे

रोज ही के
लिये नहीं
है गुजारिश
पर लिखे

कभी किसी
दिन ऐसा
कुछ भी हो
कहीं कुछ
अलग
सा दिखे
अलग सा
कुछ लगे

मुझे
ना सही
तुझे
ही लगे ।

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 21-11-2013 की चर्चा में है
    कृपया चर्चा मंच पर पधारें
    धन्यवाद

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  2. सुन्दर प्रस्तुति-
    आभार आदरणीय-

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  3. कभी कुछ अलग सा
    कुछ ऐसा भी लिख
    जिसे नहीं पढ़ने वाला
    भी थोड़ा सा पढ़ सके
    कुछ ऐसा जो किसी
    झूमती हुई कलम से
    रंगबिरंगी स्याही से
    इंद्रधनुष सा लिखा
    हुआ आसमान पर दिखे
    बहुत सुंदर.
    नई पोस्ट : पुरानी फाईलें और खतों के चंद कतरे !

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