गुरुवार, 20 मार्च 2014

आवारा होगा तभी तो उसने कह दिया होगा

शायद सच कहा होगा 
या गफलत में ही 
कह गया होगा 
उसने कहा और 
मैंने सुना मेरे बारे में 
मुझ से कुछ इस तरह 
आवारा हो जाना सबके 
बस में नहीं होता 
जो हो लेता है बहुत 
बड़ी शख्सियत होता है 
तू अंदर से आवारा 
आवारा हो गया है 
सुनी सुनाई गजल 
तक जैसे दिल 
धीरे से चल दिया 
"ये दिल ये पागल 
दिल मेरा क्यों 
बुझ गया आवारगी"
फिर लगा आवारा का 
मतलब उसका कहीं 
उठाईगीर से तो नहीं होगा 
या कामचोर या आलसी 
या फिर इधर उधर 
घूमने वाला जैसा ही
उसे कहीं कुछ दिखा होगा
वाह क्या उसने 
मुझ में मेरे अंदर 
का ढूँढ निकाला होगा 
सब कुछ सही बस 
सही बता डाला होगा
पहले लगा था बहुत 
मासूमियत में उसने 
कुछ कह दिया होगा 
हुआ थोड़ा सा 
आश्चर्य फिर अपने में 
नहीं पहुँच पाया 
जिस जगह तक 
आज तक भी कभी 
वो कैसे इतनी 
आसानी से 
पहुँच गया होगा 
कुछ भी कभी भी
लिख लेने का 
मतलब शायद
आवारगी हो गया होगा
तुझे नहीं पता होगा
उसे पता हो गया होगा ।

8 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी है रचना ,बिम्ब भी आज का अभी का है।

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  2. अच्छी है रचना ,बिम्ब भी आज का अभी का है।

    लहर दर लहर बहा सके बहा ले अपना घर
    ना पानी की है
    लहर ना हवा की है
    लहर बस लहर है
    कहीं किसी चीज की है
    कहीं से कहीं के लिये चल रही है...
    उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (21-03-2014) को "उपवन लगे रिझाने" (चर्चा मंच-1558) में "अद्यतन लिंक" पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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