शनिवार, 9 जनवरी 2021

नंगा सच है नंगई ईश्वरीय है

मत लिखा कर
हर समय गीला सा
सुखा लिया कर
लिखा अपना सीला सा

आग नहीं लगती है
लिखा गीला होता है
सीलन सुलगती नहीं है

रोज लिखना
हर समय दिखना
इसलिये ठीक नहीं होता है
लिखाई भी हर समय बहकती नहीं है

लिखा कर
कोई नहीं कहता है नहीं लिख
बस फूँक लिया कर लिखते लिखते लिखे को
स्याही सूखे बिना चमकती नहीं है

आग लिख या राख लिख
किसे मतलब है
लगी आग से बनती राख तक
जरूरी है खबर बनना
अखबार बिकता है
पकी पकाई से
कच्ची खबर बिकती नहीं है

किसलिये लिखना
हो रहे को यूँ ही
बिना मिर्च बिना मसाले के

शाम के गिलास में
शराब
बिना बात के
यूँ ही कहीं
जा गिरती नहीं है

सबको
पता होता है
सब जानते हैं लिखावट
हर लिखे की
चिट्ठियाँ आती है
किसी और के नाम से
लिखने वाले के
शहर में नहीं होने की खबर
कहीं छपती नहीं है

‘उलूक’
नोच
अपने गंजे सर के बचे बालों को
नगों की मौज रहेगी हमेशा

नंगा सच है
नंगई करना ईश्वरीय है

मंदिर बना कहीं भी 
नंगे का किसी 
कोई रोक है कहीं
कहीं दिखती नहीं है।

चित्र साभार: ttps://www.gograph.com
/

26 टिप्‍पणियां:

  1. अखबार बिकता है
    पकी पकाई से
    कच्ची खबर बिकती नहीं है
    बहुत बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  2. रोज लिखना
    हर समय दिखना
    इसलिये ठीक नहीं होता है
    लिखाई भी हर समय बहकती नहीं,,,,,,हमेशा की तरह बहुत बेहतरीन रचना,

    जवाब देंहटाएं
  3. उलूक की कलम के लिए एक शायर ने कहा है -
    कमबख्त दिल जला है तो, घर भी जला के देख,
    दुनिया को कुछ पता तो चले, रौशनी हुई.

    दिल-जला उलूक रौशनी करने के लिए अपना घर नहीं जलाता बल्कि अपनी कलम चलाता है.

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  4. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 13 जनवरी 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  5. बहुत सुन्दर सृजन। लोहड़ी व मकर संक्रांति की असंख्य शुभकामनाएं।

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  6. लेखन सूखा रहे या गीला
    चाहे होता रहे लाल पीला
    हम बहरे थे या हो चले हैं

    सदा की तरह उम्दा लेखन
    लोहड़ी और मकर सक्रांति की हार्दिक शुभकामनाओं के बधाई

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  7. आग लिख या राख लिख
    किसे मतलब है
    लगी आग से बनती राख तक
    जरूरी है खबर बनना
    अखबार बिकता है
    पकी पकाई से
    कच्ची खबर बिकती नहीं है..यथार्थ पूर्ण एवं उत्कृष्ट रचना..

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  8. लगी आग से बनती राख तक
    जरूरी है खबर बनना
    अखबार बिकता है
    पकी पकाई से
    कच्ची खबर बिकती नहीं है


    सुंदर सृजन....

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  9. समय को साधता हुआ कटाक्ष
    बहुत ही शानदार
    बधाई

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  10. नंगा सच है नंगई ईश्वरीय है परंतु सच को नंगई से पेश करने वाली दमदार लेखनी कुचल दी गयी हैं....
    बहुत सटीक... लाजवाब सृजन।

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  11. आग लगेगी तो रौशनी तो होगी ... घर तो जलते रहते हैं ...
    सच लिखा है जनाब ...

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