मत लिखा कर
हर समय गीला सा
सुखा लिया कर
लिखा अपना सीला सा
आग नहीं लगती है
लिखा गीला होता है
सीलन सुलगती नहीं है
रोज लिखना
हर समय दिखना
इसलिये ठीक नहीं होता है
लिखाई भी हर समय बहकती नहीं है
लिखा कर
कोई नहीं कहता है नहीं लिख
बस फूँक लिया कर लिखते लिखते लिखे को
स्याही सूखे बिना चमकती नहीं है
आग लिख या राख लिख
किसे मतलब है
लगी आग से बनती राख तक
जरूरी है खबर बनना
अखबार बिकता है
पकी पकाई से
कच्ची खबर बिकती नहीं है
किसलिये लिखना
हो रहे को यूँ ही
बिना मिर्च बिना मसाले के
शाम के गिलास में
शराब
बिना बात के
यूँ ही कहीं
जा गिरती नहीं है
सबको
पता होता है
सब जानते हैं लिखावट
हर लिखे की
चिट्ठियाँ आती है
किसी और के नाम से
लिखने वाले के
शहर में नहीं होने की खबर
कहीं छपती नहीं है
‘उलूक’
नोच
अपने गंजे सर के बचे बालों को
नगों की मौज रहेगी हमेशा
नंगा सच है
नंगई करना ईश्वरीय है
मंदिर बना कहीं भी
नंगे का किसी
कोई रोक है कहीं
कहीं दिखती नहीं है।
चित्र साभार: ttps://www.gograph.com/
हर समय गीला सा
सुखा लिया कर
लिखा अपना सीला सा
आग नहीं लगती है
लिखा गीला होता है
सीलन सुलगती नहीं है
रोज लिखना
हर समय दिखना
इसलिये ठीक नहीं होता है
लिखाई भी हर समय बहकती नहीं है
लिखा कर
कोई नहीं कहता है नहीं लिख
बस फूँक लिया कर लिखते लिखते लिखे को
स्याही सूखे बिना चमकती नहीं है
आग लिख या राख लिख
किसे मतलब है
लगी आग से बनती राख तक
जरूरी है खबर बनना
अखबार बिकता है
पकी पकाई से
कच्ची खबर बिकती नहीं है
किसलिये लिखना
हो रहे को यूँ ही
बिना मिर्च बिना मसाले के
शाम के गिलास में
शराब
बिना बात के
यूँ ही कहीं
जा गिरती नहीं है
सबको
पता होता है
सब जानते हैं लिखावट
हर लिखे की
चिट्ठियाँ आती है
किसी और के नाम से
लिखने वाले के
शहर में नहीं होने की खबर
कहीं छपती नहीं है
‘उलूक’
नोच
अपने गंजे सर के बचे बालों को
नगों की मौज रहेगी हमेशा
नंगा सच है
नंगई करना ईश्वरीय है
मंदिर बना कहीं भी
नंगे का किसी
कोई रोक है कहीं
कहीं दिखती नहीं है।
चित्र साभार: ttps://www.gograph.com/
बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंअखबार बिकता है
जवाब देंहटाएंपकी पकाई से
कच्ची खबर बिकती नहीं है
बहुत बहुत सुन्दर
रोज लिखना
जवाब देंहटाएंहर समय दिखना
इसलिये ठीक नहीं होता है
लिखाई भी हर समय बहकती नहीं,,,,,,हमेशा की तरह बहुत बेहतरीन रचना,
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत खूब ..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सर🙏
जवाब देंहटाएंhindiwale1.blogspot.com
जवाब देंहटाएंवाह!!👍👍
जवाब देंहटाएंबिलकुल... सच लिखा है .
जवाब देंहटाएंउलूक की कलम के लिए एक शायर ने कहा है -
जवाब देंहटाएंकमबख्त दिल जला है तो, घर भी जला के देख,
दुनिया को कुछ पता तो चले, रौशनी हुई.
दिल-जला उलूक रौशनी करने के लिए अपना घर नहीं जलाता बल्कि अपनी कलम चलाता है.
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंविश्व हिन्दी दिवस की बधाई हो।
thanks for sharing
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आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 13 जनवरी 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सृजन। लोहड़ी व मकर संक्रांति की असंख्य शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंलेखन सूखा रहे या गीला
जवाब देंहटाएंचाहे होता रहे लाल पीला
हम बहरे थे या हो चले हैं
सदा की तरह उम्दा लेखन
लोहड़ी और मकर सक्रांति की हार्दिक शुभकामनाओं के बधाई
आग लिख या राख लिख
जवाब देंहटाएंकिसे मतलब है
लगी आग से बनती राख तक
जरूरी है खबर बनना
अखबार बिकता है
पकी पकाई से
कच्ची खबर बिकती नहीं है..यथार्थ पूर्ण एवं उत्कृष्ट रचना..
लगी आग से बनती राख तक
जवाब देंहटाएंजरूरी है खबर बनना
अखबार बिकता है
पकी पकाई से
कच्ची खबर बिकती नहीं है
सुंदर सृजन....
बहुत ही सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसमय को साधता हुआ कटाक्ष
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार
बधाई
नंगा सच है नंगई ईश्वरीय है परंतु सच को नंगई से पेश करने वाली दमदार लेखनी कुचल दी गयी हैं....
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक... लाजवाब सृजन।
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआग लगेगी तो रौशनी तो होगी ... घर तो जलते रहते हैं ...
जवाब देंहटाएंसच लिखा है जनाब ...
वाह! बहुत सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर
क्या बात है ?उम्दा , बढ़िया है
जवाब देंहटाएं
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