बुधवार, 31 अगस्त 2022

साथ में लेकर चलें एक कपड़े उतारा हुआ बिजूका

 


खुद नहीं कर सकते अगर साथ में लेकर चलें
एक कपड़े उतारा हुआ बिजूका

जो चिल्ला सके सामने खड़े उस आदमी पर

जिसको नंगा घोषित
कर ले जाने के सारे पैंतरे उलझ चुके हों
ताश के बावन पत्तों के बीच कहीं किसी जोकर से

बस शराफत चेहरे की पॉलिश कर लेना बहुत जरूरी है ध्यान में रखना

सारे शराफत चमकाए हुऐ
एक साथ एक जमीन पर एक ही समय में

साथ में नजर नहीं आने चाहिये लेकिन 
बिजूका के अगल बगल आगे और पीछे 
हो सके तो ऊपर और नीचे भी

सारी मछलियों की आखें 
तीर पर चिपकी हुई होनी चाहिये
और अर्जुन झुकाए खड़ा हुआ होना जरूरी है अपना सिर
सड़क पर पीटता हुआ अपनी ही छाती

गीता और गीता में चिपके हुऐ
कृष्ण के उपदेशों को
फूल पत्ते और अगरबत्ती के धुऐं की निछावर कर
दिन की शुरुआत करने वाले
सभी बिजूकों का
जिंदा रहना भी उतना ही जरूरी है

जितना
रोज का रोज सुबह शुरु होकर शाम तक
मरते चले जाने वाले शरीफों की दुकान के
शटर और तालों की धूप बत्ती कर
खबर को अखबार के पहले पन्ने में दफनाने वाले खबरची की
मसालेदार हरा धनिया छिड़की हुई खबर का

सठियाये झल्लाये खुद से खार खाये ‘उलूक’ की बकवास
बहुत दिनों तक कब्र में सो नहीं पाती है
निकल ही आती है महीने एक में कभी किसी दिन

केवल इतना बताने को कि जिंदा रहना जरूरी है
सारी सड़ांधों का भी
खुश्बुओं के सपने बेचने वालों के लिये।


आज : दिनाँक 31/08/2022  7:36 सायं तक
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20 टिप्‍पणियां:

  1. सारी मछलियों की आखें
    तीर पर चिपकी हुई होनी चाहिये
    और अर्जुन झुकाए खड़ा हुआ होना जरूरी है अपना सिर
    सड़क पर पीटता हुआ अपनी ही छाती
    वाह! लाजवाब पंक्तियां हैं।

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 1.9.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4539 में दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
    धन्यवाद
    दिलबाग

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  3. वाक़ई इस दुनिया में हर चीज़ ज़रूरी है, दुःख भी और सुख के सपने दिखाने वाले भी।

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २ सितंबर २०२२ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  5. सठियाये झल्लाये
    खुद से खार खाये ‘उलूक’ की बकवास
    बहुत दिनों तक कब्र में सो नहीँ पाती है
    निकल ही आती है महीने एक में कभी किसी दिन
    बताने को
    जिंदा रहना जरूरी है सारी सड़ांधों का भी
    खुश्बुओं के सपने बेचने वालों के लिये।\... बिल्कुल जरुरी है जिन्दा रहने के लिए यह सब करना

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  6. बहुत सुंदर कहा सर, आज हम सब सभी बीजूका ही तो हैं। ताकते रहते हैं एक दूसरे को बोलता कौन है सभी होंठ हिलाते हैं।
    सादर

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  7. बहुत चक्करदार और पेचीली.... पर जिंदा रहने के लिए बेहद जरूरी।

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  8. सच्ची और अर्थपूर्ण रचना
    आप कमाल का सृजन करते हैं

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  9. वाह! लाजवाब!!
    बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
    बहुत ही सुंदर लिंक धन्यवाद आपका
    Diwali Wishes in Hindi Diwali Wishes

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  10. गजब!! हम जहाँ तक सोच भी नहीं पाते आप हवा की तरह लिख कर गुजर जाते हैं।
    अप्रतिम।

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  11. अनेक बार पढ़ने के बाद भी बहुत उलझी बातों का सिरा पकड़ नहीं पाए
    आप रोज थोड़ा थोड़ा ही सही लिखा करें

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    उत्तर
    1. 🙂 जी आदरणीय अब कोई जिंदा मानव बिजूका बन जाए डराने के लिए वो भी अपने लिए नहीं किसी अपने जैसे जीवित प्रतीत होने वाले बिजूके के लिए तो सब बेसिरा बेसुरा हो ही जाता है सबकुछ अपने आसपास के ही कांडों का क्रियाकर्म है क्या करें जैसा दिखा लिख दिया आभार ।

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  12. नंगा बिजूका ही सारे पैंतरे सुलझा कर नंगा कर सकता है सामने वाले को...
    उसको क्या डर नंगा जो ठहरा...
    कहीं नजर कहीं निशाना
    तगड़ी दिमागी कसरत
    हमेशा की तरह लाजवाब

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  13. बिजुका बनकर समाज और देश का सत्यानाश कर रहे हैं सभी।🙏

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