मंगलवार, 19 दिसंबर 2023

जब भी करेगा ‘उलूक’ कुछ फालतू सी बकवास ही करेगा

कितना भी पोत लिया जाए
एक सफ़ेद पन्ने को कूंची से या कलम से
आंखे मानती नहीं है देखने वाले की यूं ही
कुछ भी कभी भी कसम से

काला लिखा हुआ होता है कुछ खूबसूरत सा सामने से
क्या फर्क पढ़ता है
पलकें खुली होती हैं मगर ढकी हुई आँखे होती हैं
किसी और की सोच से 
सपने कोई और गढ़ता है

उछालते रहिये सिक्के जिन्दगी पड़ीं है
एक तरफ हेड दूसरी और टेल ही रहेगा
सिक्का खडा करने की ताकत के साथ खडा है
सामने से कोई आज
तू क्या करेगा

सोचने और करने में बहुत साफ दिखाई देता है अंतर
किसी का सामने से
बातों में जलेबी बना के परोसने वालों का
कौन क्या कभी कुछ कर सकेगा

 पाप किये हैं पापी भी है साथ में बह रही गंगा भी है
मन आयेगी तो कभी नहा भी लेगा
‘उलूक’ तेरे सोचने और करने में फर्क ही नहीं है  
जो भी उखाडेगा तेरा ही कुछ उखाड़ लेगा |

चित्र साभार: https://www.dreamstime.com/



 

12 टिप्‍पणियां:

  1. जो हुआ सो हुआ,
    बाकी की चिंता करिए
    शुभ प्रभात..

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  2. पलकें खुली होती हैं मगर ढकी हुई आँखे होती हैं
    किसी और की सोच से सपने कोई और गढ़ता है
    -सच्चाई
    लाजबाब लेखन

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  3. कितना भी लीप-पोत लिया जाए रहेगा तो रंगा सियार ही जब मुँह खोलेगा हुआँ हुँआ ही बोलेगा।
    प्रणाम सर
    सादर।
    ----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २२ दिसम्बर २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  4. न‍िश्च‍ित ही उलूक हमें अच्छी राह भी द‍िखाएगा

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  5. वाक़ई सोचने और करने में अंतर जब मिट जाता है, तभी कोई ज्ञानी जग को राह दिखा पाता है

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