उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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बुधवार, 1 जून 2016

मुश्किल है बहुत अच्छी भली आँखों के अंधों का कोई करे तो क्या करे

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अच्छा है सफेद पन्ने पर खींचना कुछ लकीरें सफेद कलम से सफाई के साथ किसे समझनी होती हैं लकीरें फकीरों के रास्ते में हरी दूब हो या मिट्टी शि...
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गुरुवार, 11 जून 2015

कीचड़ करना जरूरी है कमल के लिये ये नहीं सोच रहा होता है

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जब सोच ही अंधी हो जाती है सारी दुनियाँ अपनी जैसी ही नजर आती है अफसोस भी होता है कोई कैसे किसी के लिये कुछ भी सोच देता है किसी के काम करने...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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