उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020

तेरा लिखा जरा सा भी समझ में नहीं आता है कह लेने में क्या जाता है?

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  शिकायत है कि समझ में नहीं आता है ‘उलूक’ पता नहीं क्या लिखता है क्या फैलाता है  प्रश्न है किसलिये पढ़ा जाता है वो सब कुछ जो समझ में नहीं आता...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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