उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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रविवार, 24 अगस्त 2014

आईने के पीछे भी होता है बहुत कुछ सामने वाले जिसे नहीं देख पाते हैं

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कहा जाता रहा है आज से नहीं कई सदियों से सोच उतर आती है शक्ल में दिल की बातें तैरने लगती हैं आँखों के पानी में हाव भाव चलने बोलने से पता च...
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सोमवार, 5 मई 2014

चमक से बच चश्मा काला चाहे पड़ौसी से उधार माँग कर पास में रख

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काँच के रंगीन महीन टुकड़े दिख रहे हैं रोशनी को बिखेरते हुऐ चारों तरफ इंद्रधनुष बन रहे हों जैसे हर किसी के लिये अपने अपने अलग अलग टुकड़ा टुकड़ा...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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