उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

कुर्सियाँ लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
कुर्सियाँ लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
शुक्रवार, 19 सितंबर 2014

कुर्सियों में बैठ लेने का मतलब बातें करना ही नहीं होता है हमेशा

›
एक तरफ रोज ही आकर बैठ जाना कुछ लोगों का एक दूसरे के अगल बगल की कुर्सियों में और सेंकना दोपहर की तेज धूप में सीमेंट के खम्बों की छाँव को व...
12 टिप्‍पणियां:
गुरुवार, 3 अप्रैल 2014

सवाल सिस्टम और व्यवस्था का जब बेमानी हो जाता है

›
कैसे बनेगा  कुछ नया  उस से  जिसके  शब्दों की  रेल में  गिनती के  होते हैं  कुछ  ही डब्बे  और उसी रेल को लेकर वो  सफर करता ह...
16 टिप्‍पणियां:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
मेरी फ़ोटो
सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.