उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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बुधवार, 12 सितंबर 2012

चित्रकार का चित्र / कवि की कविता

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तूलिका के  छटकने भर से  फैल गये रंग  चारों तरफ  कैनवास पर  एक भाव  बिखरा देते हैं  चित्रकार  की कविता  चुटकी में  बना देते हैं  सामने  वाले...
8 टिप्‍पणियां:
शनिवार, 14 जुलाई 2012

बहुत कम होते हैं

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अपने ही बनाये पोस्टर का दीवाना हो जाना बिना रंग भरे भी क्योंकि पोस्टर अपना कूची अपनी रंग अपने और सोच भी अपनी कभी भी उतारे जा सकते हैं अपनी...
7 टिप्‍पणियां:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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