उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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गुरुवार, 16 फ़रवरी 2017

रात का गंजा दिन का अंधा ‘उलूक’ बस रायता फैला रखा है

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बहुत कुछ कहना है कैसे कहा जाये नहीं कहा जा सकता है लिखना सोच के हिसाब से किसने कह दिया सब कुछ साफ साफ सफेद लिखा जा सकता है सब दावा करते ह...
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गुरुवार, 24 मई 2012

अंडा बिक गया

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अंडे एक टोकरी के अपने को बस चरित्रवान दिखाते हैं दूसरी टोकरी की मालकिन को चरित्रहीन बताते हैं कल दूसरी टोकरी के अंडों ने पहली के एक अंडे क...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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