उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शुक्रवार, 22 नवंबर 2013

घबरा सा जाता है गंदगी लिख नहीं पाता है

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कितनी अजीब   सी बात है अब है तो है अजीब ही सही सब की बाते एक सी भी तो नहीं हो सकती हमेशा ही कोई खुद अजीब होता है उसकी बातों में लेकिन बहुत...
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रविवार, 10 नवंबर 2013

सोच तो होती ही है सोच

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अपनी अपनी होती है सोच सुबह होते अंगडाई सी लेती है सोच सुबह की चाय के कप से निकलती भाप होती है सोच दूध की दुकान की लाईन में हो रही भगदड़ से ...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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