उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शनिवार, 6 जुलाई 2013

पता नहीं चलता, चलता भी तो क्या होता ?

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पता ही कहाँ चल पाता है जब कोई भगवान अल्लाह या मसीहा हो जाता है पता ही कहाँ चलता है जब आदमी होना बेमानी हो जाता है पता ही कहाँ चलता है जब सब...
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बुधवार, 11 जुलाई 2012

हाथी के निकलते अगर पर

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चींटी की जगह हाथी के अगर पर निकलते तो क्या होता क्या होता वही होता जो अकसर हुआ करता है जिसे सब आसानी से मान जाते हैं और अपना दिमाग फिर नहीं...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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