उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

ढपली लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
ढपली लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
मंगलवार, 18 अगस्त 2015

एक रंग से सम्मोहित होते रहने वाले इंद्रधनुष से हमेशा मुँह चुरायेंगे

›
अपने सुर पर लगाम लगा अपनी ढपली बजाने से अब बाज भी आ बजा तो रहा हूँ मैं भी ढपली और गा भी रहा हूँ कुछ बेराग ही सही सुनता क्यों नहीं अब सब अ...
12 टिप्‍पणियां:
शनिवार, 15 नवंबर 2014

कोई नई बात नहीं है बात बात में उठती ही है बात

›
बड़ी असमंजस है मुँह से निकली नहीं बात बात उठना शुरु हो जाती है मायने निकलने की और मायने निकालने की बात की तह में पहुँचने की बात को बात की ...
5 टिप्‍पणियां:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
मेरी फ़ोटो
सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.