उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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मंगलवार, 15 मार्च 2016

जमूरे सारे कुछ जमूरों को छोड़ कर मदारी के इशारे पर मदारी मदारी खेलने निकल कर चले

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कुछ जमूरे मिलें शागिर्दी के लिये तमन्ना है जिंदगी में एक बार बस एक ही बार मदारी होने का ज्यादा नहीं एक ही मिले मौका तो मिले जमूरा बना रह ...
1 टिप्पणी:
शनिवार, 12 अक्टूबर 2013

मुआ आईना कुछ नहीं कर पा रहा था

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हाथ में आईना उठाये हुऐ बाजार की तरफ निकलते हुऐ मैंने जब उसे देखा तो बस यूं ही पूछ बैठा भाई क्या बात है कहाँ को जा रहे हो क्या आईने को फ्रेम...
2 टिप्‍पणियां:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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