उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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मंगलवार, 2 सितंबर 2014

देखता कुछ और है बताता कुछ और चला जाता है

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दिल की बातें कहाँ उतर पाती हैं इतनी आसानी से जबान से कागज के पास तक पहुँच कर भी फिसल जाती हैं दिल में कुछ और होता है लिखना कुछ और होता है...
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मंगलवार, 3 जून 2014

अपना समझना अपने को ही नहीं समझा सकता

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उसने कुछ लिखा और मुझे उसमें बहुत कुछ दिखा क्या दिखा अरे बहुत ही गजब दिखा कैसे बताऊँ नहीं बता सकता आग थी आग जला रही थी मैं नहीं जला सकता उसक...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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