उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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रविवार, 26 अक्टूबर 2014

कहीं कोई किसी को नहीं रोकता है चाँद भी क्या पता कुछ ऐसा ही सोचता है

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भाई अब चाँद तेरे कहने से अपना रास्ता तो बदलेगा नहीं वहीं से निकलेगा जहाँ से निकलता है वहीं जा कर डूबेगा जहाँ रोज जा कर डूबता है और वैसे भ...
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शनिवार, 31 मार्च 2012

अर्थ आवर

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मार्च महीने के अंतिम सप्ताह का शनिवार मानव को जाग्रत करने का एक विचार ऋतु परिवर्तन के बारे में जागरूकता बढ़ाने लोगों का ध्यान उनके कर्मों ...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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