उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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सोमवार, 24 अगस्त 2015

दलों के झोलों में लगें मोटी मोटी चेन बस आदमी आदमी से पूछे किसलिये है बैचेन

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कंधे पर लटके हुऐ खुद के कर्मों के एक बेपेंदी के फटे हुऐ झोले में रोज अपने खाली हाथ को डालना मुट्ठी भर हवा को पकड़ कर हाथ को बाहर निकालना क...
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रविवार, 2 सितंबर 2012

स्टिकर

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कपड़े पुराने हो जाते हैं कपडे़ फट भी जाते हैं कपडे़ फेंक दिये जाते हैं कपडे़ बदल दिये जाते हैं कुछ लोग फटे हुऎ कपडे़ फेंक नहीं भी पाते हैं ...
7 टिप्‍पणियां:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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