उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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मंगलवार, 19 अगस्त 2014

जो होता नहीं कहीं उसी को ही दिखाने के लिये कुछ नहीं दिखाना पड़ता है

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बैठे ठाले का दर्शन है बस चिंतन के किसी काम में कभी भी नहीं लाना होता है खाली दिमाग को कहते हैं दिमाग वाले शैतान का एक घर होता है ऐसे घरो...
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रविवार, 6 मई 2012

बैठे ठाले उलूक चिंतन

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रविवार को उलूक चिंतन कुछ ढीला पढ़ जाता है लिखने के लिये कुछ भी नया आसपास जब नहीं ढूँढा जाता है घर पर बैठे ठाले अगर कुछ कोई लिखना भी चाहता ह...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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