उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शनिवार, 23 मई 2015

जरूरी कितना जरूरी और कितनी मजबूरी

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दुविधाऐं अपनी अपनी देखना सुनना अपना अपना लिखना लिखाना अपना अपना पर होनी भी उतनी ही जरूरी जितनी अनहोनी दुख: सुख: अहसास खुद के आस पास बताना...
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मंगलवार, 28 मई 2013

सरकार होती है किसकी होती है से क्या ?

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अब भाई होती है  हर जगह एक  सरकार बहुत  जरूरी होती है  चाहे बनाई गयी हो  किसी भी प्रकार  घर की सरकार  दफ्तर की सरकार शहर की सरकार  जिला प्रदे...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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