उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शनिवार, 8 अगस्त 2015

हर कोई मरता है एक दिन मातम हो ये जरूरी नहीं होता है

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हर बाजार में हर चीज बिके ये जरूरी भी नहीं होता है रोज बेचता है कुछ रोज खरीदता है कुछ उसके बाद भी कैसे किसी को अंदाजा नहीं होता है किसी की...
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शुक्रवार, 17 जुलाई 2015

मर जाना किसे समझ में आता नहीं है

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मर जाने का मतलब मरने मरने तक कैसे समझ में आ सकता है मरने का मतलब कोई बिना मरे कैसे बता सकता है मर जाना भी तो कई तरह का होता है कोई मरता ...
14 टिप्‍पणियां:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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