उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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बुधवार, 19 सितंबर 2012

महापुरुष

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बहुत कुछ कहें या सब कुछ कोई फर्क नहीं होता है एक महापुरुष के पास जितना अपना होता है कहीं भी नहीं उतना होता है लिखना शुरु हो जाये भरते चले ज...
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सोमवार, 10 सितंबर 2012

एक संत आत्मा का जाना

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जगन भाई के इंतकाल की खबर जब मगन जी को ग ई सुनाई सुनते ही अगले की आँखें भर आई बोले अरे बहुत संत महापुरूष थे ना कुछ खाते थे ना कभी पीते थे कि...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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