उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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मंगलवार, 3 दिसंबर 2013

बदतमीजी कर मगर तमीज से नहीं तो आजादी के मायने बदल जाते हैं

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वो करते थे सुना गुलामी की बात जो कभी आजाद भी हो गये थे कुछ बच गये थे आज भी हैं शायद कहीं इंतजार में बहुत सारे मर खप भी कभी के गये थे ऐसे ही...
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मंगलवार, 8 नवंबर 2011

गांधी

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गांंधी तेरी याद हो गयी फिर एक साल पुरानी पिछले साल थी आयी फिर आ गयी इस साल कुछ फोटो पोस्टर बिके मूर्तियां धुली धुली सी मुस्कुरा रहा था आज फ...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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