उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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गुरुवार, 18 जनवरी 2024

कितना बहकेगा तू खुद उल्लू थोड़ा कभी बहकाना सीख

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  मयकशी ही जरूरी है किस ने कह दिया समय के साथ भी कभी कुछ बहकना सीख कदम दिल दिमाग और जुबां लडखडाती हैं कई  बिना पिए  थोड़ा कुछ कभी महकना सीख द...
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गुरुवार, 4 जनवरी 2018

कभी ऐसा भी कुछ यूँ ही बिना कुछ पर कुछ भी सोचे

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कोई बुरी बात नहीं है ढूँढना लिखे हुवे के चेहरे को कुछ लोग आँखें भी ढूँढते हैं कुछ की नजर लिखे हुवे की कमर पर भी होती है कुछ पाजेब और बिछ...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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