उलूक टाइम्स: राम राम
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गुरुवार, 18 जनवरी 2024

कितना बहकेगा तू खुद उल्लू थोड़ा कभी बहकाना सीख

 

मयकशी ही जरूरी है किस ने कह दिया
समय के साथ भी कभी कुछ बहकना सीख

कदम दिल दिमाग और जुबां लडखडाती हैं कई बिना पिए 
थोड़ा कुछ कभी महकना सीख
दिल का चोर आदत उठाईगीर की जैसी बताना मत कभी
साफ़ पानी के अक्स की तरह चमकना सीख

आखें बंद रख जुबां सिल दे
उधड़ते पल्लुओं की ओर से मुंह फेर कर
फट पलटना सीख

अच्छी आदतें अच्छी इबादतें सब अच्छे की बातें कर
कर कुछ उल्टा सुल्टा लंगडी लगा पटकना सीख

सब कुछ ठीक है बहुत बढ़िया है समझा जनता को
घर के परदे के अन्दर रहकर झपटना सीख

सकारात्मक रहो सकारात्मक कहो समझा कर सबको
खुद दवाई खा अवसाद की भटकाना सीख

घर गली मोहल्ले में घर घर जा धमका कर सबको
कौन देख रहा है कौन सुन रहा है किसे पडी है समझाना सीख

घर में मंदिर पूजा घर की जगह जगह घेरेगी
कोई एक भगवान पकड़ कर लोगों को पगलाना सीख

राम राम हैं राम राम थे राम राम में राम रमे है
आगे बढ़ ‘उलूक’ अब राधे राधे भी तो है ना मत आंखें मींच 
तू भी तो कुछ कहीं कभी कुछ तो ऐसा कुछ चमकाना सीख

चित्र साभार: https://in.pinterest.com/

गुरुवार, 4 जनवरी 2018

कभी ऐसा भी कुछ यूँ ही बिना कुछ पर कुछ भी सोचे


कोई
बुरी बात
नहीं है

ढूँढना
लिखे हुवे
के चेहरे को

कुछ
लोग आँखें
भी ढूँढते हैं

कुछ
की नजर
लिखे हुवे की
कमर पर
भी होती है

कुछ
पाजेब और
बिछुओं को
देख भर लेने
की ललक
के साथ

शब्दों से
ढके हुऐ
पैरों की
अँगुलियों
के दीदार
भर के लिये
नजरें तक
बिछा देते हैं

सबके लिये
रस्में हैं
अपने
हिसाब से
जगह के
हिसाब से
समय के
हिसाब से

कुछ को
लिखे हुऐ में
अपना चेहरा
भी नजर
आ जाता है

कुछ
के लिये
बहुत साफ
कुछ
के लिये
कुछ धुँधला सा
कुछ
के लिये चाँद
हो जाता है

कुछ नहीं
किया जा
सकता है
अगर कोई
ढूँढना शुरु
कर दे रिश्ते
लिखे हुऐ के
पीछे से
झाँकते हुऐ
अर्थों में

बबाल तो
हर जगह
होते हैं

कुछ
बने बनाये
होते हैं

कुछ
खुद के लिये
कुरेद कर
पन्नों को
बिना नोंक
की पेन्सिल से
खुद ही
बनाये गये
होते हैं

फट चुके
कागज भी
चुगली करने में
माहिर होते हैं

अब
इस सब से
‘उलूक’ को
क्या लेना देना

फटे में
अपनी टाँग
अढ़ाने के
चक्कर में
कई बार
खुद भी
फटते फटते
बचा हो कोई
या
फट भी
गया हो
तो भी
क्या है

होना तो
वही होता है
जो सुना
जा चुका
होता है

‘राम जी रच चुके हैं’

गाल पीटने
वालों के
गालों से
उन सब
को कहाँ
मतलब
होता है

जिन्हें
पिटने
या
पीटने की
आवाज
संगीत ही
सुनाई
देती हो

रहने दीजिये
ये रामायण
का आखरी
पन्ना नहीं है

अभी
कई राम
और पैदा
होने के
आसार हैं

भविष्यवाणी
करना ठीक
नहीं है

हनुमानों
पर नजर
रखते चलिये

कुछ
ना कुछ
संकेत
जरूर मिलेंगे

अब
लिखा हुआ
ही आईना हो
या
आईने में ही
लिखा गया हो

रहने
भी दीजिये
इस पर
फिर कभी कुछ

अगली
बकवास
के पैदा होने
तक के लिये
 ‘राम राम’

चित्र साभार: study.com