उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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रविवार, 13 अप्रैल 2014

रस्में कोई जानता है किसी को समझाई जा रही होती हैं

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चुनाव क्यों करवा रहे हैं पता नहीं वोट क्यों डलवा रहे हैं पता नहीं तो पता क्या है अरे सब पता है कौन हार रहा है कौन जीत रहा है कैसे हार रहा ...
7 टिप्‍पणियां:
मंगलवार, 13 मार्च 2012

मिल गया मिल गया .. लीडर

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बिल्लियों की लड़ाई में बंदर रोटी खा गया बिल्लियों के रिश्तेदारों को बहुत रोना आ गया यहाँ का बंदर मलाई खुद जब खाता नहीं बिल्लियों को बंदर इस...
1 टिप्पणी:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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