उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2013

अपेक्षाऐं कैसी भी किसी से रखने में क्या जाता है

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दो टांगों पर चलता  चला जाऊं अपनी ही  जिंदगी भर ऐसा  सोचना तो समझ में  थोड़ा थोड़ा आता है  सर के बल चल कर  किसी के पास पहुंचने  की किसी की अप...
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गुरुवार, 16 अगस्त 2012

भ्रम एक शीशे का घर

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हम जब शरीर नहीं होते हैं बस मन और शब्द होते हैं तब लगता है शायद ज्यादा सुन्दर और शरीफ होते हैं आमने सामने होते हैं जल्दी समझ में आते हैं सा...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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