उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शनिवार, 28 दिसंबर 2013

ऐसा भी तो होता है या नहीं होता है

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जाने अंजाने में  खुद या सामूहिक  रूप से किये गये  अपराधों के  दंश को  मन के किसी  कोने में दबा कर  उसके ऊपर  रंगबिरंगी  ...
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गुरुवार, 25 जुलाई 2013

यहाँ होता है जैसा वहाँ होता है

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होने को  माना बहुत कुछ  होता है कौन सा  कोई  सब कुछ  कह देता है अपनी  फितरत से  चुना जाता है  मौजू कोई  कह...
2 टिप्‍पणियां:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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