सोमवार, 23 सितंबर 2013

एक सही एक करोड़ गलत पर भारी होता है

ऐसा
एक नहीं
कई बार
होता है

जब
ऊपर
वाले का
अपना कोई

नीचे
आकर के
जन्म लेता है

हर कोई
उसे उसका
एक अवतार
कहता है

सुना गया है

बैकुंठ में
वैसे तो
सब कुछ
होता है
और
अलौकिक
होता है

फिर
इस लोक में
क्यों कोई
आने को

इतना
आतुर होता है

ये
उसकी
समझ में
आने से
बहुत
दूर होता है

जो
खुद के
यहां होने से

बहुत
दुखी होता है

जब देखो
बैकुंठ
जाने के लिये
रोता रहता है

पर
जो जो
यहां होता है

वो
बैकुंठ में
कभी नहीं
होता है

लूटमार
भ्रष्टाचार
सड़क का
ब्लात्कार

बीस गोपियां
बीबी चार
मैं और मेरे
को लेकर
मारामार

केवल
यहीं होता है

और

यहां
सब की
नजर में
ये सब कुछ
ठीक होता है

वो
कहता है

कि
सबको
ठीक करने
के लिये ही

उसे
ऊपर से

नीचे
उतरना
होता है

किसी को
पता नहीं
होता है

जब भी
उसका मन

इस
लोक में
आने का
होता है

उसके
इशारे
पर ही

यहां
बहुत
कुछ
होता है

उस बहुत
कुछ को

देखने
सुनने
के लिये
ही तो

वो
यहां होता है

अकेले
होता है से

क्या होता है

परलोक
का एक
इस लोक के
अनेक के ऊपर

बहुत
भारी होता है

कोई भी
कहीं भी
कुछ भी
करता रहे

जब वो
यहां होता है

तो फिर

किसी के
भी किये गये

गलत सलत से
क्या होता है

उसका
होना ही

अपने आप में

क्या 

नहीं होता है ।

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आप का वहाँ हार्दिक स्वागत है ।

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - बुधवार - 25/09/2013 को
    अमर शहीद वीरांगना प्रीतिलता वादेदार की ८१ वीं पुण्यतिथि - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः23 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra

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