उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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बुधवार, 8 अक्टूबर 2014

तालाब में क्यों कूदा नदी में जा कर क्यों नहीं नहा आया

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इस पर कुछ लिख कर जब उसको पढ़ाया बत्तीस लाईन पढ़ने में उसने बस एक डेढ़ मिनट लगाया थोड़ा सिर हिलाया थोड़ा इधर थोड़ा उधर घुमाया कुछ देर लगा जैसे ...
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रविवार, 7 अक्टूबर 2012

संडे है आज तुझे कर तो रहा हूँ याद

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इस पर लिखा उस पर लिखा ताज्जुब की बात  तुझ पर कभी कुछ नहीं लिखा कोई बात नहीं आज जो कुछ देख कर आया हूँ उसे अभी तक  यहाँ लिख कर नहीं बताया हूँ ...
19 टिप्‍पणियां:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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