उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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सोमवार, 18 नवंबर 2013

तारा टूटे कहीं तो भगवान करे उसे बस माँ देखे

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ऐसा बहुत बार हुआ है  आसमान से टूटता हुआ एक तारा  नीचे की ओर उतरता हुआ जब दिखा है  गूंजे हैं कान में किसी के कहे हुऐ कुछ शब्द  ...
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सोमवार, 16 जुलाई 2012

बस इधर और उधर

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इधर जा उधर जा देखना मत झांक आ कहीं रूखा है कहीं सूखा है कहीं झरने हैं कहीं बादल हैं कोई खुश है कोई बिदका है जैसा भी है कुछ लिखता है इधर जा...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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