बहते
पानी का
पानी का
यूं ठहर जाना
ठंडी
बयार की
रफ्तार
कम हो जाना
कम हो जाना
नीले
आसमान का
भूरा हो जाना
चाँद
का निकलना
लेकिन
उस
तरह से नहीं
सूरज
की गर्मी में
पौंधों
का
मुरझाना
का
मुरझाना
ग्लेशियर
का
शरमा के
पीछे हट जाना
रिम झिम
बारिश
का
रूठ जाना
रूठ जाना
बादल
का फटना
एक गाँव
का
बह जाना
आपदा
के नाम
पर
पैसा आना
पैसा आना
अखबार
के लिये
एक
खबर बन जाना
खबर बन जाना
हमारा तुम्हारा
गोष्ठी
सम्मेलन
सम्मेलन
करवाना
नेता जी
का
कुर्सी मेंं आकर के
बैठ जाना
हताहतों
के लिये
मुआवजे
की
की
घोषणांं कर जाना
पूरे गांव
मे
कोइ नहीं बचा
ये
भूल जाना
आपदा प्रबंधन
पर गुर्राना
ग्लोबल वार्मिंग
पर
भाषण दे जाना
हेलीकोप्टर
से आना
हेलीकोप्टर
से जाना
राजधानी
वापस
चले जाना
आँख मूंद कर
सो जाना
अगले साल
फिर आना ।
बहुत गहरा कटाक्ष!! सटीक वार है, वाह!
जवाब देंहटाएंयह नेतागिरी नहीं तो
जवाब देंहटाएंऔर क्या ?
they are very good indeed...keep it up..looking forward to more
जवाब देंहटाएंvah kya baat he
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द सोमवार 16 सितंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंआदमी की जहालत और लालच से कुदरत भी हैरान हो गई है
जवाब देंहटाएंबहुत ही तीक्ष्ण व्यंग ......
जवाब देंहटाएं