उलूक टाइम्स: मई 2024

बुधवार, 15 मई 2024

सब जानते है सीवर खुला है और आ रही है बदबू सड़न की खुशबू गाने में किसी का क्या चला जाता है

 

उसने ऐसा क्या कर दिया
किसी को कुछ कहीं नजर नहीं आता है
चश्मा पहनाया है या उतार दिया है
ये समझ से बाहर हो जाता है

जो देख रहे हैं महसूस कर रहे हैं
वो वो नहीं है जो वो बताता है
वो वो है वो नहीं है वो तो मासूम है
वो तो बस एक झंडा फहराता है

पढ़े लिखे नाच रहे हैं
लिखे में दिख रहा है उनके
राम भी समझ में आता है
राम नाम सत्य है बस
एक और केवल एक ही दिन
एक भीड़ से बांच दिया जाता है

आदमी लिख रहा है बन कर चम्मच
कटोरा पकडे हुए एक इंसान की कहानी
उसे कहाँ कोई समझाता है
कटोरे से कुर्सी और कुर्सी से देश खाने में
कहां समय लगता है
दीमक होशियारी अपनी कहाँ छुपाता है

 शर्म आती है ‘उलूक’ को
पढकर किसी का पन्ना
ब्लोगिंग में ब्लोगर बहुत बढ़ा
ऐसा कौन हो पाता है
सब को पता है सब जानते है
सीवर खुला है और आ रही है बदबू
सड़न की खुशबू गाने में
किसी का क्या चला जाता है |

चित्र साभार: https://www.dreamstime.com/

शनिवार, 4 मई 2024

‘उलूक’ लगा रहेगा आदतन बकवास करने यहाँ गोदी पर बैठे उधर सारे यार लिखेंगे

 
माहौल पर नहीं लिखेंगे कुछ भी
कुछ इधर की लिखेंगे कुछ उधर की लिखेंगे
वो कुछ अपनी लिखेंगे हम कुछ अपनी लिखेंगे
लिखेंगे और रोज कुछ लिखेंगे

धूप बहुत तेज है हो लू से मरे आदमी मरे
हम पेड़ पर लिखेंगे उसकी छाँव पर लिखेंगे
आंधी से उड़ गयी हो छतें गरीबों की रहने दें
हम ठंडी हवा लिखेंगे और गाँव लिखेंगे

कोई झूठ बोले बोलता रहे हम सच पर लिखेंगे
सच की वकालत पर लिखेंगे हम पड़ताल  लिखेंगे
मर रहे हैं लोग बीमारियों से मरें और मरते रहें
हम लिखे में अपने सारे हस्पताल लिखेंगे

तीन बंदरों की नयी बात लिखेंगे
गांधी और नेहरू को पडी लात की सौगात लिखेंगे
तीन बंदरों को   खुद ही सुधार लेने को
उनकी औकात लिखेंगे उनकी जात लिखेंगे

लिखेंगे दिखेंगे पढेंगे
दो चार पांच को ले जाकर रोज सुबह
बेरोकटोक सूबेदार लिखेंगे
‘उलूक’ लगा रहेगा आदतन बकवास करने यहाँ
गोदी पर बैठे उधर सारे यार लिखेंगे
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