जरूरी है घिसना
चौक
काले श्यामपट पर
पढ़ाना नहीं है
ना ही कुछ लिखना है
कुछ लकीरें खींच कर
गिनना
शुरु कर देना है
कोई पूछे अगर
क्या गिन रहे हैं
शर्माना नहीं है
कह देना है मुँह पर ही
लाशें
किसकी कोई पूछे
तो बता देना है
अपने घर के किसी की नहीं है
मातम
कहीं दिख रहा हो तो
पूछने जरूर जाना है
कौन मरा है
जात सुनना है
और अट्टहास करना है
खिलखिलाना है
बातें करना है मन की मन से
जरूरी है
इधर उधर ना जाना है
मन की बातों से
छ्नी बातों को
रास्तों में बिछाना हैं
अपने बनाये भगवान के
गुण गाना है
घर का
कोई नहीं मरा है
सोच कर
तालियाँ बजाना है
‘उलूक’ उल्लू के पट्ठे
के लिखे लिखाये
के चक्कर में नहीं पड़ना है
अपना घर अपनों से
बस आज बचाना है ।
चौक
काले श्यामपट पर
पढ़ाना नहीं है
ना ही कुछ लिखना है
कुछ लकीरें खींच कर
गिनना
शुरु कर देना है
कोई पूछे अगर
क्या गिन रहे हैं
शर्माना नहीं है
कह देना है मुँह पर ही
लाशें
किसकी कोई पूछे
तो बता देना है
अपने घर के किसी की नहीं है
मातम
कहीं दिख रहा हो तो
पूछने जरूर जाना है
कौन मरा है
जात सुनना है
और अट्टहास करना है
खिलखिलाना है
बातें करना है मन की मन से
जरूरी है
इधर उधर ना जाना है
मन की बातों से
छ्नी बातों को
रास्तों में बिछाना हैं
अपने बनाये भगवान के
गुण गाना है
घर का
कोई नहीं मरा है
सोच कर
तालियाँ बजाना है
‘उलूक’ उल्लू के पट्ठे
के लिखे लिखाये
के चक्कर में नहीं पड़ना है
अपना घर अपनों से
बस आज बचाना है ।
चित्र साभार: https://www.canstockphoto.com/corpse-5001351.html