लिख दिये हैं चैन
दरो दीवार छोड़िये सड़क मैदानों तक में
लिखे को पढ़िये पन्ने दर पन्ने
किसलिये ढूंढनी है
कलम किस की है और कहाँ रखी है
कुछ कहां हो रहा है
किसलिये बैचेन है
चैन ढूंढ और जमा कर पैमाने तक में
लिखते चले जा
खाली गिलास खाली बोतल
किसने देखनी है किसकी है और कहाँ रखी है
चैन और बेचैनी
रिश्ता बहुत पुराना है
खोज ना जा कर घर से लेकर मैखाने तक में
मिलेगा जरूर
कुछ राख कुछ धुआँ
कुछ टुकड़े बचे बीड़ी के भी
कौन लिखता है हिसाब बही कहाँ रखी है
बेचैनी लिखने में भी दिख जाता है चैन
चैन से नहीं लिखा कर बैचनी यूँ ही खदानों तक में
खोदना तुम को आता है
किसे मालूम है जरूरी है कुदालें भी किसे पता है कहाँ रखी हैं
‘उलूक’ जानता है
चैन है ही नहीं कहीं सारे बेचैन हैं बताते नहीं हैं
लिखा करना जरूरी है चैन
अपने लिये ना सही
बेचैन के लिये सही बेचैनी है पता है कहाँ रखी है।
चित्र साभार: https://webstockreview.net/