क्यों रे
बहुत
बहुत
उछल रहा
है
सुना है
आजकल
सुना है
आजकल
कुछ कुछ
कहीं
कहीं
लिख विख
रहा है
क्या लिख रहा है
बुरी बात ये है
कुछ भी हमें
कहीं से
भी
तेरे बारे में
पता नहीं
चल रहा है
भाई
क्यों इतना
परेशान कर रहा है
बता
क्यों नहीं देता
साफ साफ
क्या कर
रहा है
लिखता भी है
तो कुछ ऐसा
सुना गया है
जिसे कोई
भी
नहीं पढ़ रहा है
जो पढ़ भी रहा है
हमे बताने के लिये
कि तू क्या कर रहा है
उसके पल्ले भी
कुछ भी नहीं
पड़ रहा है
समझ में
नहीं आ रहा है
पहले तो
कभी नहीं
किया तूने
पिछले पचास
सालों में जो
इस
उम्र में
पहुँच कर
आज तू
कर रहा है
नहीं पढ़ रहा है
जो पढ़ भी रहा है
हमे बताने के लिये
कि तू क्या कर रहा है
उसके पल्ले भी
कुछ भी नहीं
पड़ रहा है
समझ में
नहीं आ रहा है
पहले तो
कभी नहीं
किया तूने
पिछले पचास
सालों में जो
इस
उम्र में
पहुँच कर
आज तू
कर रहा है
किसने
कहा तुझसे
ऐसा करने को
ये भी
जानने का
बहुत मन
कर रहा है
कोई
नहीं बताता
कौंन है तेरे पीछे
जो तुझे
उकसा कर
ये सब
कर लेने को
मजबूर
कर रहा है
जब
कोई कहीं
कुछ नहीं
कर रहा है
किसी ने
किसी बात पर
कहीं
कुछ कहा हो
की बात पर
कहाँ
किसी को
कोई फर्क
पढ़ रहा है
गोलियाँ
चल रही हैं
लाइसेंस
होने ना होने
की बात
कौन कर रहा है
कई
मर रहे हैं
किसी ने
नहीं कहा
कि कोई बुरा
कर रहा है
फिर
तू कैसे
इतने दिनों से
मौज कर रहा है
लाइसेंस
लिखने का
किसने दे दिया तुझको
जो
मन में आये
किसी के लिये
कुछ भी
लिख मर रहा है
कितने
दिनों तक
पायेगा चैन
ओ बैचेन उलूक
जल्दी ही
लिखने लिखाने
वालों पर भी
कर लग रहा है ।
कितने दिनों तक
जवाब देंहटाएंपायेगा चैन
ओ बैचेन उल्लूक
जल्दी ही लिखने
लिखाने वालों पर
भी कर लग रहा है....
खुदा खैर करे, श्रीमान जी आपकी बात कहीं सत्ता के गलियारों में ना पहुँच जाए....
लिखने वाला तो लिखता चला जाता है उसकी सार्थकता वक़्त/पाठक के साथ पता चलती है...पर आज बहुत कुछ बिना सिर-पैर के भी लिखा जा रहा है (जिस ओर आपने इशारा किया है) जिसे कोई नहीं पढ़ता और अगर पढ़ता है तो कमेंट तो भूल से भी नहीं करता (ऐसे लिखने वालों की गिनती आप हमसे शुरू कर सकते हैं:-)))..
बढ़िया व्यंग्य को उकेरती कविता...
हार्दिक साधुवाद!!
सादर,
सारिका मुकेश
लाइसेंस लिखने का
जवाब देंहटाएंकिसने दे दिया तुझको
जो मन में आये
किसी के लिये
कुछ भी लिख
मर रहा है
....वाह! क्या बात है...शायद वह दिन भी दूर नहीं जब लिखने के लिए लाइसेंस लेना पड़े...बहुत करार व्यंग...
ओ बैचेन उल्लूक
जवाब देंहटाएंजल्दी ही लिखने
लिखाने वालों पर
भी कर लग रहा है !------
वाह क्या तीखा कटाक्ष करता व्यंग
बहुत खूब
उत्कृष्ट प्रस्तुति-----
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (25-01-2014) को "क़दमों के निशां" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1503 में "अद्यतन लिंक" पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
अब यही दिन देखना बाकी रह गया है इस देश में.. बिग ब्रदर इस वॉचिंग यू... कलम निकालते ही बन्दूक तान देंगे और कहेंगे लाइसेंस दिखाओ.. लाइसेंस दिखाया तो कहेंगे कि यह तो हमारी स्तुति और हमारा प्रशस्ति-गान लिखने का लाइसेंस है, तुमने समाज की प्रगति के गीत क्यों लिख दिए.. लाओ ज़हर का प्याला और उतार दो गले के नीचे!!
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब!!!
पुनश्च: हम तो वैसे भी केमिस्ट्री वाले हैं, सबसे पह्ले धर लिए जायेंगे!! :)
जोशी जी गज़ब कर दिया आपने …:))
जवाब देंहटाएंमित्रवर!गणतन्त्र-दिवस की ह्रदय से लाखों वधाइयां !
जवाब देंहटाएंरचना अच्छी है !